गुरुवार, 6 अगस्त 2009

चलो गांव की ओर !!!!!!!


















































कहते है , असली भारत गावो में बसता है ,क्या है ,गावो में जो लोग vaha रहते है








पहले लोग अंग्रेजो के आतंक से त्रस्त होकर इज्जत व सम्मान की रक्षा के लिए सुदूर जा बसे ,और कुछ सेठ साहूकार बनिया, अंग्रजो के चाटुकार सहरो में में ही रह गए ,ब्रिटिश सरकार की वजह से धनाड्य भी हो गए ,और पलायन करते समय उन्हें सौगात भी दे गए , देश को ऐसे ऐसे सिधान्तो को देकर गए है ,जिसका परिणाम आज भी वे हमें अपने गुलाम देश की तरह ही देखते है ,जैसे:-




आर्थिक गुलाम




भाषा की गुलामी




तकनिकी गुलामी ........ .या उचित नही औसत है ???????




लेकिन अब सामाजिक भी ho rahe है जिसे तकनीक ही प्रोत्साहित कर रही है ,



धनाड्य लोग उनके सिधान्तो को गर्व से पालन kar rahe hai angreji boलना गर्व की बात हो गई है ,हम कृष्ण krishnadaiyapan ,mohammad,nanak,buddha,mahaveer, jaise महा गुरु की धरा को भूल रहे है यहाँ राम ,रहीम ने जन्म लिया है




mai chahta तो यह विचार अंग्रेजी में लिख sakata tha ,पर नही




हम स्वयं अपनी जड़ो को तलाश नही पा रहे है ,एक अरब से भी ज़्यादा आबादी में से आधे से ज़्यादा प्रतिभा गावो से , भोजपुरी बोलते है, यही भोजपुरिये बिसुद्ध भारतीय है
विकाश की राह मतलब बिजली ,जितनी बिजली सहरो में बर्बाद होती है ,उसका कुछ प्रतिशत भी ,गांवो में मिले तो विदेश से अन्न न मांगना पड़े ,हर समस्या का दस विकल्प ही देश की प्रगति है
३३ करोड़ देवी देव तावो , मंत्रो, ४-5 महान धर्मो वाले , इस देश में आवस्यकता है ,पर आविष्कार नही है , इससे अभागा देश कौन होगा जहा कृषक आत्म हत्या कर लेते है
हमारा सहर भी अंग्रेजो की तरह निष्ठुर हो गया है , हवा में मिलावट , दवा में मिलावट , आहार में मिलावट , ब्यवहार में मिलावट । यहाँ पैसे के लिए मानवता मर गई है सत्य -धर्म तो यहाँ केवल नाम के लिए है ,
जरुरत है , गाँव की मिटटी को माथे लगाने की ,
लेकिन गावं वाले ही , गाव में नही रहना चाहते है ,क्यो ?
कारन जीवन की मूलभूत आवश्यक तावो की कमी , ये पुरी कब होगी ,????
भारत तभी विकशित देश मन जाएगा ,जब गांव वासी शहर नही आने को सोचेगा ,
लेकिन दीमक लगे प्रशासन उस पर , धर्म , जाती (उपनाम ) , भाषा ,स्थान , की दुहाई , व गन्दी राजनीती,
देश से वफ़ा रखना वाले इस पर ध्यान नही देते ,
अपनी जड़ो को छोड़ने वाला ही धारा -शैई (गिरता) होता है
परन्तु दूसरी जगह अपनी उचित छवि बदलने वाला विजयी होता है
तोह चलो गांव की ओर धर्म का पालन करे ,भोजपुरी बोले , व खुशिया बांटे ..........।!!!!!!!......////?????
प्रेषक : म.कॉम म.गा.का.वि.पि । वाराणसी २००९-10