रत्नो को एक तरह से पत्थर ही माना गया है ,पर ये दुर्लभ पत्थर बहुत कीमती होते है ,| हमारे ब्रह्मांड मे अनेक ग्रह है (मुख्यतः नौ ) , और हम धरती पर रहते है ,और उनसे प्रभावित भी होते है ,| परंतु इन ग्रहो का इस धरती पर प्रतिनिधित्व ये रत्न ही करते है , जैसे जिस ग्रह का रत्न होगा उसकी मान्य रखेगा , जैसे यदि हम अपने बच्चे को प्यार करते है ,| ठीक उसी प्रकार ये ग्रह भी अपने रत्नो से प्यार करते है ,और धारक व्यक्ति को राहत प्रदान करते है ,|
एक तरह से रत्न का दूसरा रूप इलाज़ भी है ,इसलिए सोच समझ कर व्यक्ति को अपने लिए रत्न धारण करना चाहिए , माने आपको सर्दी है , और आप किसी और रोग की दवा खाये तो सर्दी तो नहीं जाएगी बल्कि आप और बीमार ही जाएगे ठीक इसी प्रकार रत्नो का अपना प्रभाव होता है ,रत्नो की मात्रा धारक के लिए निर्धारित होती है , आठ रत्ती से कम न हो और अलग अलग मात्रा भी आप धारण कर सकते है , सलाह ले , |रत्न जैसे मोती ये चंद्रमा का असर कारक प्रभाव उत्पन्न करता है , शीतलता , शांति प्रदान करता है ,माणिक ये सूर्य का प्रभावी माना गया है , ऊर्जा प्रदान करेगा , |
ठीक इसी प्रकार सभी रत्न है , 1) हीरा 2) मोती 3) माणिक 4) मूंगा ) 5) पन्ना 6) पुखराज 7) नीलम 8) गोमेद 9) लहसुनिया
आदि रत्न है |
इन्हे आप लाकेट या अंगूठी मे पहन (धारण ) कर सकते है , | ये रत्न जो अपने ग्रह की किरणों को सोखते है ,और फिर शरीर मे पहुचाते है | और ये अपना कार्य करते है , इसलिए ये शरीर से टच करे , ध्यान रहे आजकल वास्तविक रत्न कम ही मिलते है ,| नकली की भरमार है , जिन्हे पहचानना अत्यंत मुश्किल होता है , | एक बार मैंने पढ़ा था , कि एक राजा थे , उन्होने कई रत्न धारण किए थे , उनके मौत से कुछ दिन पहले उनके सारे रत्न काले पड गए थे ,|
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लेखक ;-गौर से ...आपका रविकान्त यादव
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