गुरुवार, 11 मार्च 2010
डर
पंडित वीर भान मिश्र एक शांत धर्म कर्म में रूचि रखने वाले ४१ वर्षीय व्यक्ति थे , प्रतिदिन अपने घर के पास मंदिर जाना उनकी दिनचर्या थी , जिससे उनको चैन मिलता था ,परन्तु गृहस्त जीवन से उन्हें कुछ दिन के लिए सहर जाना पड़ा ,उनका दिल यही मंदिर पर अटक रहा था ,तो उन्होंने बड़े मनोयोग से अपने पुत्र छोटू को पूजा का दायित्य सौपा ,वो अपने पुत्र को पूजा पाठ का सामान देकर ,कहा बेटा ये थाली अक्षत मंदिर में पूजा कर आना और ये दूध का भोग भी भगवानको जरुर लगा देना , छोटू एक नौ वर्षीय अबोध बालक था ,पिता की इच्छाके अनुसार वह मंदिर जाता है ,अपने तरीके से पूजा पाठ करता है ,अपनी पूजा पाठ से संतुस्थ वह वापस लौटने को होता है ,तो उसकीनजर दूध के कटोरे पर गयी ,अरे भगवान ने तो दूध पिया ही नहीं ,फिर वही बच्चा हठमान ,मनौवल ,१० मिनट बाढ़ भी भगवान दूध नहीं पीते है ,तो अथक परिश्रम बाद छोटू को क्रोध आ जाता है ,छोटू कहता है ,भगवान जी कह रहा हु न ,ये दूध पि लो नहीं तो मुझसे बुरा कोई न होगा ,अब क्या मजाल कोई कैसे न माने पलक झपकते ही भगवान आकर दूध का कटोरा खाली कर देते है ,आधे घंटे तक बच्चे से खेलना मान मनौवल के बाद अब बारी भगवान की थी ,परेसान हो कर बोले छोटू अब मुझे जाने दे ,छोटू ने भी sart रख दी ,अब दूध पिने में देरी न करना ,और यह सिलसिला छोटू के पिता के आने तक सात दिनों चलता रहा ,.......
अतः बच्चो की जिद ही उन्हें बनाती और बिगाड़ती है ,उन्हें दूध का कटोरा जमीन से उठा कर स्वयं दूध ग्रहण करने की योग्यता विकशित करनी चाहिए ,अतः जिद का कारन जानने से उन्हें सही मार्ग दरसन किया जा सकता है ,अगर आप जिद्दी है तो आप में बहुत उर्जा है ,जिद्दी महान खिलाडी भी बन सकते है ,अधिकतर खिलाडी अनाड़ी हो सकते है ,और अनाड़ी खिलाडी साबित होते है ,बच्चो को बताये कैसे कमल कीचड़ में रह कर wahaa से उर्जा लेकर खिल कर फूल बन जाता है ,उसी तरह दिल की उर्जा को दिमाग तक ले जाये गन्दगी निचे रह जाएगी ,जल भी तो इसी प्रकार सुद्ध होता है ,विचार अच्छे हो तो अच्छी चीजे प्राप्त होती है ,बच्चो हा बच्चो की आवाज़ और तड़पती इच्छा को सुन लो ,दिल से छनकर जो विचार दिमाग तक जाते है अच्छे होते है ,माता की कृपा इन्हें मिलती है ,यहभी सिद्धि है , अनायास ही यह गौतम बुद्ध को प्राप्त हो गयी थी ,उनके जिद को भी एक माता देवी ने तोडा ,व ज्ञान दिया , श्री कृष्ण की शक्ति भी इसी से बनी ,
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