पृथ्वी से दूर ,यहाँ की भाषा में कोई २७ प्रकाश वर्ष दूर ,प्रकाश की रफ़्तार से चलने पर भी २६ साल वहा पहुचने में लग जायेगे ,उसका अपना सौरमंडल है ,जो अपनी धुरी पर घूमता है ,और सायद किसी समय पृथ्वी के आस -पास होकर गुजरे तो हबल से देखा जा सके ,
वह ग्रह बहुत शांत और सुन्दर ग्रह है ,जहा चारो तरफ एक ही प्रकार के प्राणी है ,उनको देवदूत कहा जाता है , वे अपने कर्मो से बधे रहते है ,ब्रहमांड रक्षक चतुर आत्मावो से निपटते रहते है ,जिस ग्रह की बात है वहा के निवासी के शरिर में दो दिल होते है ,यदि वो वहा का कानून तोड़ता है ,और कोई अपराध करता है ,तो उसका दूसरा दिल निकाल कर पृथ्वी पर फेक दिया जाता ,जो यहाँ पहुच कर टूटता तारा बन जाता है , वह दुसरे दिल के अभाव में अपने आप मछली की तरह तड़पता है ,उसे वहा के कानून में ठंडी आग या तरसती मौत की सजा कही जाती है ,वह स्वयं ही अधुरा महसूस करता है ,दिल के अभाव में तड़प कर धीरे धीरे कमजोर होकर मर जाता है ,चूकी उसकी आखिरी इच्छा अपने दुसरे दिल से प्रेम की होती है ,अतः उसे पृथ्वी पर जन्म लेकर अपने दुसरे दिल को पाने की अभिलाषा शायद ,प्रेम -शादी -विवाह ,रिश्ते आदि बन गया ,
और मानव बन कर अपने दुसरे दिल को ढूंढता फिरता है ,ये वही ऊपर वाला उसका दिल होता है ,लेकिन वह अपने दिल को खोजता ज़रूर है , खोजे भी क्यों न वो उसका अपना दिल जो होता है .....
लेखक ;- परग्रही एम् कॉम २०१० , वाराणसी
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.
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