वह एक मधुर भाषी था ,थोडा बहुत ज्ञानी भी था ,और सुन्दर भी ,लोगो का वाणी से उपचार भी कर देता ,लोग उसको सम्मान देते ,धन भी चढाते , धीरे धीरे उसके अन्दर गर्व आ गया ,सम्मान करवाने में आनंद उठाता ,गर्व बढ़ा और समाज के लोगो को अपने से तुच्छ समझने लगा ,और अपने को अलग ऊँचा समझता उसे अपने रूप ,ज्ञान ,धन का गुरूर था , परन्तु अपने ही तरह जीव को निचा समझता ,असुंदर , अपने ही तरह आँख ,नाक ,वालो ,को तुच्छ और प्रकृति के ही जीवो से मन ही मन घ्रिडा करता ,तरह तरह के विचार से भेदभाव करता ,
उसके अन्दर के पञ्च देव उसकी सोच विचार का आनंद लेते , तथा उसे सबक सिखाने को लेकर समय देव से सिफारिश करते है |समय देव ,पञ्च देव की बात मानकर उसे भविष्य के लिए दण्डित करते है ,कहते है ,जहा के लोग इसके पैर छुते थे ,अब की बार इससे कतराए गे ,यह रूप से उपरी आवरण से व नाम को देखकर ही मन को फेर लेता है ,तो इसका रूप भी प्रभावित होगा ,चूँकि यह सिर्फ रूप ,मान ,सम्मान , ,का ही लोभी है अतः इसका सरीर ही प्रभावित होगा ज्ञान नहीं ,और समय के साथ उसका सरीर प्रभावित हो जाता है ,उसे कोढ़ हो जाता है , use सबक मिल गया था ,
पर आज भी ऐशे कुष्ट लोगो का ज्ञान नहीं मरा है ,एक बार मिलो जरूर कुछ मिलेगा ,आखिर वो भी तो देवो का ही पुत्र था ,पुत्र को दण्डित करते है तो कुछ सिखाने के लिए न ,कल जिनको ये अलग और तिरस्कृत समझते थे ,आज ये स्वयं अभिशापित है ,और समाज के घर में ही टेढ़ी नजर के शिकार है ,
परन्तु ज्ञान ,कर्म ,और भक्ति की ताकत का मेल हर राह आसन ही नहीं ,वांछित फल भी देती है ,
भेदभाव रहित होने के लिए .....
छोटा बड़ा सभी को एक ही धरती का अन्न मिला ,हवा पानी धुप छाव का धन्न मिला ,
क्या खता हुई की कुछ ही लोगो से मन मिला ,समय देव ने रच दी रचना मिला भी तो शापित तन मिला ,,,|||||||
धीरे धीरे उसे अपनी गलतियों का अहसास होता है ,वह तप करता है ,बरसात में तो तुलसी की पत्तिया भी धुल जाती है ,तप -पश्चाताप से वह शुद्ध हो जाता है ,वह बासुदेव कृष्ण को दोस्ती की कसम देता है ,मै तेरा सखा फिर भी लोग मुझसे दूर भागते है ,
कृष्ण कहते है मित्र तुम पाटलिपुत्र जावो सूर्य उपासना के तट पर सूर्य सरोवर से लेप युक्त मिटटी बदन पर लगा कर सूर्य कृपा लो ,आतंरिक पवित्रता को वायु देव पहचान कर ,सूर्य देव तुम्हे निरोग कर देगे ,,,,|||||
चलते चलते ....अहंकार वह दानव है ,जो भूख मिटाने के बाद और भी विकराल और शराबी रूप धारण कर लेता है ,
लेखक :- एम् कॉम , २०१० पूर्ण , ,माफ़ी मंगाते हुए .....Ravi kant yadav
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