शनिवार, 31 अक्टूबर 2009
सोमवार, 19 अक्टूबर 2009
दर्द-ऐ-दिल (एक चलती कहानी ) शेर वो सायरी

वो कहते रहे मोह्हबत नही है ,?2
हमने समझा जरुरत नही है
ज़माने ने कहा हसरत नही है ,
नजरो ने नजरो को देखा ,तड़प ही गए कुछ भी हो नफरत नही है ??
२) धुप चढ़ती है ,उतर जाने के लिए ,
फूल खिलते है , बिखर जाने के लिए
दोस्त मिलते है , बिछुड़ जाने के लिए ,
दिल,दोस्ती,दुवा,फरियाद होती है , दोस्त से मिल जाने के लिए ??
३)आपके कारवां में आपकी झलक व धुल थी ,
बढ़ते कदमो को रोका पर आशिक़ी भी शूल थी ?
धुल ने भी कीमत वसूली ,कहा मेरे साथी यही मेरी मूल थी ,
रगों से बहतो ने कहा ,कमबख्त बेवकूफ यही तेरी भूल थी ???
४)उसको प्यार में नफरत की दिवाली थी ,?
उन्होंने कहा ना , लगा दिया गन सिने पर कमबख्त पहली चैंबर ही खाली थी ?
उसकी रगों से बहता हुआ खून ,जनता के होठो पर गाली थी,
किसी ने कहा हरामी तो किसी के होठो पर मवाली थी ,??
५) दर्द ऐ दिल ने पर्वतों के साये बना गए ,?
पर्वतों ने हक़ दिखाया और दो धाराए बना गए ??
प्यार को तोड़ कर जाने वाले न आने का वादा कर गए ,
जब हमने सिकवा किया बेवफाई का तोह , किसी ने कहा वो देखो हमे चाहने वाले चाँद -सितारे बना गए ????
गुरुवार, 15 अक्टूबर 2009
आयुर्वेद -1


आज के ही दिन समुद्र मंथन से १४ वे और आखरी रत्न के रूप में देव धन्वन्तरी हाथो में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे , हिंदू धर्म में आज के दिन को धनतेरस भी कहते है , देव धन्वन्तरी स्वाथ्य के रक्षक और आरोग्य प्रदान करने वाले देव है , चूँकि स्वास्थ्य ही धन है ,अतः तेरहवे रत्न के रूप में प्रकृति के अंग और स्वास्थ्य के देवता के लिए धन तेरस भी कहते है
उनके हाथो में पात्र में अमृत था , अतः लोग आज के दिन पात्र खरीदते है ,सभी को अमृत कलश व अमृत की ही कामना थी , तब देव धन्वन्तरी ने सभी के प्रकृति को पहचानते हुए , मोहिनी रूप के द्वारा न्याय किया ,
एक कथा अनुसार मृत्यु के देवता भी द्रवित हो गए थे , इसलिए उन्होंने भी समस्या का पूर्व निर्धारण विकल्प बताया ,अपने दिशा में दीप दान ...........आज के दिन .............वही दीपावली पर श्री गणेश और श्री लक्ष्मी की पूजा होती है , जो बुद्धि और धन के देव है , श्री राम ने रावन पर बुद्धि और अपनी पत्नी श्री के धन के प्रताप से ही विजय प्राप्त किया था ,अतः यह पर्व असत्य पर सत्य की विजय का पर्व है ,
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