गुरुवार, 15 अक्तूबर 2009

आयुर्वेद -1




आज के ही दिन समुद्र मंथन से १४ वे और आखरी रत्न के रूप में देव धन्वन्तरी हाथो में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे , हिंदू धर्म में आज के दिन को धनतेरस भी कहते है , देव धन्वन्तरी स्वाथ्य के रक्षक और आरोग्य प्रदान करने वाले देव है , चूँकि स्वास्थ्य ही धन है ,अतः तेरहवे रत्न के रूप में प्रकृति के अंग और स्वास्थ्य के देवता के लिए धन तेरस भी कहते है


उनके हाथो में पात्र में अमृत था , अतः लोग आज के दिन पात्र खरीदते है ,सभी को अमृत कलश व अमृत की ही कामना थी , तब देव धन्वन्तरी ने सभी के प्रकृति को पहचानते हुए , मोहिनी रूप के द्वारा न्याय किया ,


एक कथा अनुसार मृत्यु के देवता भी द्रवित हो गए थे , इसलिए उन्होंने भी समस्या का पूर्व निर्धारण विकल्प बताया ,अपने दिशा में दीप दान ...........आज के दिन .............वही दीपावली पर श्री गणेश और श्री लक्ष्मी की पूजा होती है , जो बुद्धि और धन के देव है , श्री राम ने रावन पर बुद्धि और अपनी पत्नी श्री के धन के प्रताप से ही विजय प्राप्त किया था ,अतः यह पर्व असत्य पर सत्य की विजय का पर्व है ,

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें