सोमवार, 19 अक्तूबर 2009

दर्द-ऐ-दिल (एक चलती कहानी ) शेर वो सायरी

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वो कहते रहे मोह्हबत नही है ,?2
हमने समझा जरुरत नही है
ज़माने ने कहा हसरत नही है ,
नजरो ने नजरो को देखा ,तड़प ही गए कुछ भी हो नफरत नही है ??

२) धुप चढ़ती है ,उतर जाने के लिए ,
फूल खिलते है , बिखर जाने के लिए
दोस्त मिलते है , बिछुड़ जाने के लिए ,
दिल,दोस्ती,दुवा,फरियाद होती है , दोस्त से मिल जाने के लिए ??

३)आपके कारवां में आपकी झलक व धुल थी ,
बढ़ते कदमो को रोका पर आशिक़ी भी शूल थी ?
धुल ने भी कीमत वसूली ,कहा मेरे साथी यही मेरी मूल थी ,
रगों से बहतो ने कहा ,कमबख्त बेवकूफ यही तेरी भूल थी ???

४)उसको प्यार में नफरत की दिवाली थी ,?
उन्होंने कहा ना , लगा दिया गन सिने पर कमबख्त पहली चैंबर ही खाली थी ?
उसकी रगों से बहता हुआ खून ,जनता के होठो पर गाली थी,
किसी ने कहा हरामी तो किसी के होठो पर मवाली थी ,??

५) दर्द ऐ दिल ने पर्वतों के साये बना गए ,?
पर्वतों ने हक़ दिखाया और दो धाराए बना गए ??
प्यार को तोड़ कर जाने वाले न आने का वादा कर गए ,
जब हमने सिकवा किया बेवफाई का तोह , किसी ने कहा वो देखो हमे चाहने वाले चाँद -सितारे बना गए ????

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