शनिवार, 29 अक्तूबर 2011

वास्तु ज्ञान

देवो के विकार से एक भीमकाय दानव उत्पन्न हुआ , उसने पुरे देव लोक में हंगामा , तबाही उत्पन्न करने लगा , इससे परेशान सभी देवता उसे देवलोक से निकाल कर , सभी देवतावों ने उसे धरती पर फेक दिया ,और कहा जावो धरती पर तुम्हारा मान होगा और पूजा भी , जिस -जिस अंग को पकड़ कर देवतावों ने उसे फेंका उस पर उनके अधिकार माने गए है , |

जब वह उत्पाती दानव धरती पर गिरा तो उसके औंधे मुह गिरने की स्थिति अनुसार वास्तु शास्त्र के नियम बनाये गए जैसे आपके भूमि पर ईशान कोण (कोना) २) आग्नेय कोण ३)नैऋत्य कोण ४) और वायब्य कोण होते है |

हिंदु धर्म में मान्यता है ,कि धरती पर मकान आदि बनवाते समय इनका पालन करना चाहिए जिससे घर में सुख ,शांति, सम्ब्रिधि , निरोगता , बनी रहे , |

वास्तु शास्त्र में दिशावो का ही सारा खेल है , तिजोरी किस दिशा में खुले ,स्नान घर किस दिशा में हो , आदि -आदि ईशान कोण सबसे पवित्र होता है , यह जमीन पर उत्तर -पूर्व कि तरफ का कोना होता है , यह पवित्रता , सफाई और स्वक्षता का प्रतिनिधित्व करता है ,|

आग्नेय कोण यह पूर्व-दक्षिण का कोना है ,यह जैसा की नाम से ही प्रकट है , उर्जा , उत्साह और ताकत का प्रतिनिधित्व करता है , ठीक जैसा दाहिना हाथ ,...

नैऋत्य कोण , यह दक्षिण - पक्षिम कोना है , यह नीत दिनचर्या का प्रतिनिधित्व करता है , |

वायब्य कोण यह पक्षिम-उत्तर का कोना है , यह वायु का स्वतंत्रता का प्रतिनिधित्व करता है ,| इन्ही उपरोक्त चार दिशावो व कोण के अनुसार सारे रहन -सहन की व्यवस्था की जाती है , आप इसे विज्ञानं से जोड़कर भी देख सकते है , जैसे north pole -south pole आदि, चित्र बहुत कुछ स्पस्ट करता है , देखे ........

ईशान कोण पूजा के लिए होता है , यहाँ मंदिर बनाते है ,तथा इसे सबसे नीचे सभी ज़मीन की तुलना में हल्का ढलान रखते है ,|यहाँ पूजा के पेंड भी लगा सकते है , जल स्थान बना सकते है , |

२)आग्नेय कोण यहाँ आप रसोई घर या बिजली तार supply आदि उपकरण रख सकते है ,|

३) नैरित्य कोण इसे दिनचर्या अनुसार प्रयोग का ध्यान रखा जाता है , इसे सबसे ऊँचा बनाया जाता है , यह आप मान सकते है , यह वास्तु दानव की कमर है ,(कमर के नीचे का भाग )

४) वायाब्य कोण चूँकि यह स्वतंत्रता का परिचायक है इसलिए इसे हवादार जगह दिया जाता है , ताकि की हवा आ -जा सके घर में हवा का अहसास मिलता रहे ,

वास्तु में रंगों का भी विशेष स्थान है , तथा अलग -अलग अन्य वस्तुए भी है , जैसे ॐ , स्वस्तिक , कलश , नारियल, मूर्ति, अच्छे चित्र, तथा कारणों का वास्तु अनुसार हल भी होता है , मै यहाँ काफी कुछ बता चूका हु , फिर भी यदि चाहे तो वास्तुशास्त्री से मिल सकते है , या अच्छे लेखक की किताब ले सकते है , या नेट पर विस्तृत खोज सकते है , बिना तोड़ -फोड़ भी हल होते है , मेरे दिए दोनों पते पर बिंदास क्लीक करे;-1)http://ranchiexpress.com/82237.php

2)http://www.patrika.com/article.aspx?id=9342

चीन में यही कला फेंग सुई कहलाती है ,|

लेखक;- वास्तुशास्त्री ......रविकांत यादव

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शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2011

रत्न, रहस्य और राहत

रत्नो को एक तरह से पत्थर ही माना गया है ,पर ये दुर्लभ पत्थर बहुत कीमती होते है ,| हमारे ब्रह्मांड मे अनेक ग्रह है (मुख्यतः नौ ) , और हम धरती पर रहते है ,और उनसे प्रभावित भी होते है ,| परंतु इन ग्रहो का इस धरती पर प्रतिनिधित्व ये रत्न ही करते है , जैसे जिस ग्रह का रत्न होगा उसकी मान्य रखेगा , जैसे यदि हम अपने बच्चे को प्यार करते है ,| ठीक उसी प्रकार ये ग्रह भी अपने रत्नो से प्यार करते है ,और धारक व्यक्ति को राहत प्रदान करते है ,|

एक तरह से रत्न का दूसरा रूप इलाज़ भी है ,इसलिए सोच समझ कर व्यक्ति को अपने लिए रत्न धारण करना चाहिए , माने आपको सर्दी है , और आप किसी और रोग की दवा खाये तो सर्दी तो नहीं जाएगी बल्कि आप और बीमार ही जाएगे ठीक इसी प्रकार रत्नो का अपना प्रभाव होता है ,रत्नो की मात्रा धारक के लिए निर्धारित होती है , आठ रत्ती से कम न हो और अलग अलग मात्रा भी आप धारण कर सकते है , सलाह ले , |रत्न जैसे मोती ये चंद्रमा का असर कारक प्रभाव उत्पन्न करता है , शीतलता , शांति प्रदान करता है ,माणिक ये सूर्य का प्रभावी माना गया है , ऊर्जा प्रदान करेगा , |

ठीक इसी प्रकार सभी रत्न है , 1) हीरा 2) मोती 3) माणिक 4) मूंगा ) 5) पन्ना 6) पुखराज 7) नीलम 8) गोमेद 9) लहसुनिया

आदि रत्न है |

इन्हे आप लाकेट या अंगूठी मे पहन (धारण ) कर सकते है , | ये रत्न जो अपने ग्रह की किरणों को सोखते है ,और फिर शरीर मे पहुचाते है | और ये अपना कार्य करते है , इसलिए ये शरीर से टच करे , ध्यान रहे आजकल वास्तविक रत्न कम ही मिलते है ,| नकली की भरमार है , जिन्हे पहचानना अत्यंत मुश्किल होता है , | एक बार मैंने पढ़ा था , कि एक राजा थे , उन्होने कई रत्न धारण किए थे , उनके मौत से कुछ दिन पहले उनके सारे रत्न काले पड गए थे ,|

विस्तृत जानकारी हेतु बिंदास यहा नीचे क्लिक करे , और विषय वार सारी जानकारी हेतु दिये पते के लिंक के फोटो पर या (heading) भी क्लिक करे;- http://hindi.webdunia.com/religion/astrology/ratna/

लेखक ;-गौर से ...आपका रविकान्त यादव

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मंगलवार, 11 अक्तूबर 2011

रंग

एक गाँव था ,सारंगपुर वहा सभी अधिकतर गोरे थे ,| केवल कुछ गिने लोग ही काले थे ,| गोरे लोग उनकी हंसी उड़ाते ,उपहास करते ,हेय की दृष्टि से देखते अपने को ऊँचा समझते , | गोरे व्यक्ति सम्मानित थे ,वो धनी लोगो का गाँव था ,| एक रात खुनी डकैतों ने उस गाँव पर धावा बोला , सभी यहाँ वहा ,जहा बनता पड़ा छीप गये, वो लूट पाट मचाने के बाद कत्ल कर देते थे, अगली सुबह जिन्दा बचने वालो में अधिकतर काले व्यक्ति ही थे ,| क्यों की उनकी साथी वो काली रात थी ,जिसको उनके काले शरीर ने ओढ़ रखा था ,|

इसलिए हमें ईश्वर को दोष नहीं देना चाहिए , ईश्वर ने जो हमें दिया ,सही ही दिया ,क्यों की हमारा वर्तमान ,भूत से प्रभावित होता है |और भविष्य वर्तमान से बनता है ,| अतः ईश्वर ही सर्वशक्तिमान न्याय कर्ता है ,|

लेखक ;- साथी ....रविकांत यादव ...also click ;-http://justiceleague-justice.blogspot.com/