शनिवार, 18 जून 2011

विश्वास

एक पंडित जी बड़े स्वार्थी थे ,पर बाद में धार्मिक हो गए भजन कीर्तन करना ,भक्ति गीत बजाते रहते थे ,| पेट के लिए पूजा पाठ में भी भागेदारी करते ,पूजा पाठ भी करवाते ,कुछ धन मिल जाता , वह स्वयं सदैव पूजा पाठ करते ,चन्दन लगाते ,| तीर्थ करते धीरे -धीरे पंडित जी बड़े प्रसिद्ध हो गए ,पंडित जी सदा अपने घर पर भक्ति -भजन के गीत बजाते रहते , पडोसी -मोहल्ले वाले पंडित जी कि बड़ी सराहना करते ,उन्हें बहुत बड़ा भक्त ,भजन कीर्तन करने वाला मानते ,| लोगो की धारणा थी ,पंडित जी तो रथ से स्वर्ग जायेगे ,अंत समय आया यमदूत आये और जनता के चेहरे पर चमक आ गयी परन्तु वे पंडित जी को छोड़कर उनके बाजे को जिससे वो धार्मिक ,ज्ञान वाले संगीत बजाते रहते थे ,उसे लेकर चले गये,जनता यह सब देख रही थी ,उनका विश्वास गलत हो गया था ,उनके चेहरे मुरझा गये थे ,और वे निराशा में भारी कदमो से वापस जाने लगे तभी यमदूत का रथ पुनः आसमान से धुंध और चमक के साथ वापस आता है ,इस बार पंडित जी को रथ पर बैठा स्वर्ग ले गये ,देखने वाली जनता के चेहरे खिल उठे ,आख़िरकार उनका विश्वास सत्य जो हो गया था , | ये रही कहानी मैंने भी एक सामाज सेवा संगठन का नाम ,नियम ,सिद्धांत बना रखा है , जिस दिन कॉपी राईट ,registard होगी i card , सिद्धांत ,लोगो ,पुरा डिजाईन , छपेगा, पुरे जगह सच्चे -अच्छे लोगो में बितरित होगा ,ये सभी लोगो के लिए नहीं होगा ,चाहे अपने को कोई कितना ही बड़ा क्यों न हो , शर्ते आवश्यक होगी , | अब ऊपर वाला संगीत इसी विश्वास के लिए ........ लेखक ;- विश्वासी ....रविकांत यादव एम् .कॉम । २०१०

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