बुधवार, 28 सितंबर 2011

वनदेवी का शाप

एक सम्ब्रिध जंगल चारो तरफ हरयाली ,फल फूल रंग बिरंगे पौधे ,चहकते पक्षी ,अनेक उछलते कूदते जानवर एक बार वहा एक मनुष्यों का दल शिकार करने गया ,उन निर्मम शिकारियों ने एक दूध पिलाते हिरणी को मार गिराया ,अनाथ शावक तड़प कर छटपटा कर इधर उधर भटकने लगा ,|

रोने चिल्लाने की करुण क्रंदन से वन देवी को आने पर विवश होना पड़ा ,वन देवी आती है तो वहा का नज़ारा देख स्थिति समझने में देर नहीं करती ,|

वनदेवी पुरे क्रोध में शाप देती है ,कि अब जो भी मनुष्य इस सुन्दर वन में कदम रखेगा , मांस भक्षण करेगा ,शिकार करेगा मन और आचरण से जानवर (पशु )बन जायेगा ,उनके इस शाप को अनाथ हिरण के शावक ने बढाया और वह मानव शरिर रहते हुए भी बुद्धि ,ज्ञान कर्म से जानवर कि तरह व्यवहार करेगा ,|

वन देवी के इस शाप का असर बढ़ते समय के साथ असर दिखाया और आज जो भी हिंसक व्यवहार या हिंसा करता है , मांस भक्षण करता है ,| उसकी बुद्धि क्षीण हो जाती है ,मत मारी जाती है ,|और वह क्रोध के अधीन अपने कर्म से अपना ही नाश कर लेता है , या अपनी जिंदगी नर्क बना कर मारा जाता है ,||

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लेखक;- शाकाहारी .....रविकान्त यादव

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