रविवार, 14 नवंबर 2010

विशेष विद्यार्थी -1

प्यारो बच्चो हर वर्ष की तरह इस बार भी भारत में बाल दिवस १४ नवम्बर को पड रहा है ,बाल दिवस को भारत के प्रथम प्रधान मंत्री के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है ,उन्हें बच्चो से बहुत प्यार था ,गुलाब उनका पसंदीदा फूल था जिसे वो अपने वस्त्र से लगा कर रखते थे उन्होने ,,बच्चो के कहने पर थाईलैंड से सफ़ेद हाथी पानी के जहाज से भारत मंगवाया था ,उनका दिया नारा आज भी हमारे साथ है ,जो है --"आराम हराम है "
शिक्षा व्यक्ति को पूर्ण बनाती है , तथा स्थापित और सम्मान योग्य बनती है ,बिना शिक्षा व्यक्ति अपूर्ण है ,|
हमें पहले ही बताया गया है ,काक चेष्टा बको ध्यानं ,स्वान निद्रा गृह त्यागी अल्पहारी ये पांच विद्यार्थी के लक्षण है ,इन्ही का समावेश हर विद्यार्थी में होना चाहिए ये अजेय होगे ......
कौवे की तरह सतर्क क्या ले क्या न ले नज़र में क्या हो क्या न हो ,किसको ध्यान में रखे ,क्या याद करे क्या छोड़ दे ,पूरी किताब तो रट नहीं सकते ,
बकुले की तरह मेहनत ,ध्यान एक बार में हटो नहीं ,कुछ तो एक पाठ तो याद करो ,कुछ तो लो जैसे बकुला कुछ नहीं तो छोटी मछली तो पा ही जाता है ,ये उसका ध्यान है ...
स्वान निद्रा ब्रम्ह, मुहूर्त में सुबह उठ कर पढो ,, घर के सुख न लो ,हल्का भोजन लो नीद और भारीपन से आलस्य आती है ,
एक बार फिर कौवा का चेष्टा कौवा तो देखा ही होगा ,कंकड़ वाली कहानी ,कौवे को सायद आदमी से ही सबसे ज्यादा डर रहता है इसलिए वो आदमी से ज्यादा सतर्क रहता है ,आप को किस से डर है -विज्ञानं से संस्कृत से या अंग्रेजी से या फिर केमिस्ट्री से या गुणा-गणित से ...आप उसे पत्थर नहीं मार सकते ...कौवा अपने बच्चे को सिखा रहा था ,मनुष्य झुके तो समझो गड़बड़ है उड़ जावो कौवे का बच्चा बोला अगर वो पहले से ही या अपने जेब में ही पत्थर ले के आ जाये तो ..........???????????सिखने को आतुर रहो ,ग्राही सदा प्यासा रहता है ......
बकुले को देखा है ,वह मछली पकड़ने में इतना स्थिर और ध्यान लगाता है ...की मछली तक समझती है ,ये तो स्थिर पुतला है ....और बकुला उन्हें झपट कर खा जाता है ,वह तो एक टांग पर रहता है , , कराटे में एक पैर पर जोर देकर उर्जा अर्जित की जाती है .....पढो जिस पर शक हो की ये प्रश्न आ रहा है ,या आ सकता है ,उसे बकुले की टांग की तरह दोहरावो ..ध्यान से ...बकुले के ध्यान से
कुत्ते की तरह नीद ,कुत्ते को ध्यान लगाकर देखो तो लगेगा सो रहा है ,वह सोता भी है ,पर हल्के आहट पर उठ जाता है ,या उसके दिमाग में एक बात चलती रहती है ....पर वही बात उसे उठा देती है ,जग जाता है , नीद लो पर काम पर उठ जावो वरना एक्साम में पास होना तो दूर परीक्षा ही छूट जाएगी ....
गृहत्यागी से तात्पर्य घर के बंधन ,और सुख में विद्या नहीं अर्जित की जा सकती मतलब विद्या लाड -प्यार में नहीं होती वो बच्चा सीखेगा भी नहीं ....ज्ञान प्रभावित होगा इसलिए पहले के राजा-महाराजा अपने पुत्रो को बाहर भेज देते थे , , मतलब लाड -प्यार में विद्या नहीं होती|
तथा ऋषि -मुनि लोग भोजन की उनकी आवश्यकता उन्ही से भिक्षा मंगवा कर पूरा करते थे , जो सन्देश देता है ,भोजन कम करो यहाँ ज्ञान है ,भोजन नहीं ,ज़माना मानता है ,पेट पापी होता है ,पर धर्म राज उदधिसटीर कहते थे ,पेट हमारा पाला कुत्ता है ,और बाद में वह ससरीर कुत्ते सहित स्वर्ग भी गए ...उनका यक्ष प्रश्न का उत्तर आज भी विश्व प्रसिद्द है ,|
भगवान् गौतम बुद्ध पूरी तरह अन्न त्याग कर ज्ञान ग्रहण करना चाहते थे ,पर विफल रहे , पर सफल भी नहीं रहे और आखिर में मध्यम मार्ग पर चलने का ज्ञान दिया हल्का भोजन लो खिचडी ,मूंग ,मिश्री -दही ,खीर ,उत्तम है ...
प्यारो बच्चो यहाँ मैंने आप के लिए ही लिखा है .....मेहनत की परवाह नहीं ...परवाह आप की है ,यदि आप पढने में कमजोर हो तो दीप ज़ला कर पढो मोम बत्ती या लालटेन की रौशनी में पढो ध्यान केन्द्रित होगा ....ये आप पर निर्भर करता है ,
स्वयं के अज्ञात अपने प्रतेक शिक्षक को प्रतिदिन १-१- प्रसन्न पूछने वाला सच्चा -सच्चे विद्यार्थी के लक्षण है , बसर्ते वह विषय वार हो ,और ये पढने और कौतुहल वाले विद्यार्थी हो सकते है ,....मै संकोच वसनहीं पूछ सका
एक बार बल्ब के रोशनी के आविष्कारक थोमस अल्वा एडिसन अपने बचपन में पढ़ते समय अपने शिक्षिका से पूछते है ,चिड़िया उड़ सकती है ,पर आदमी क्यों नहीं ,ज़बाब नहीं मिला उल्टे उन्हें क्लास से बाहर कर दिए गए वरना आज हवाई जहाज का आविष्कार उनके नाम होता , यदि आप का बच्चा खुरापाती है ,तो सुविधा मिलने पर एक अच्छा वैज्ञानिक बन सकता है ,जैसा की एडिसन थे आप उनकी कहानी पढ़े ....आज सबसे ज्यादा आविस्कर और शोध का रिकॉर्ड सायद उन्ही के नाम है ,,,
भेजा खाने में भी ज्ञान मिल सकता है , खूब पूछो-खोद खोद कर पूछो , जैसे अखरोट खाने से भी भेजा तेज होता है ,अखरोट का आकार हु बहु भेजे जैसा होता है ,जो भेजे जैसी संरचना रखता है ,भेजा कभी फ्राई न करना वरना एडिसन वाला हाल होगा , और ऊपर से पोषक तत्व भी नस्ट हो जायेगे , फिल्म तारे ज़मी पर वाले शिक्षक कम ही मिलते है ,
एक बार एक शिक्षक अपने क्लास में पढ़ा रहे थे ,उन्हें अपने लिए एक योग्य विद्यार्थी की तलास थी ,वो पढ़ाते -पढ़ाते रुक -रुक कर भटक भी जा रहे थे ,तो उन्होंने एक युक्ति चुना कहा जो मै पढ़ा रहा हु उसको पुछुगा ?आखिर में सभी से प्रश्न पूछते है,एक विद्यार्थी थोडा बहुत सवाल का ज़बाब देता है ,साथ में टना-टन बाहर से आने वाले सभी मधुर संगीत भी बता देता है , शिक्षक कहते है मुझे इन्ही गानों की तलाश थी ,सायद उन्हें एक योग्य विद्यार्थी और विद्यार्थी को एक योग्य शिक्षक मिल जाता है ,सायद दिल मिल गए .....
एक फिल्म जाकी चेन की फारबिडएन किंग डम में एक बड़ा मार्मिक दृश्य है ....गुरु बोलता है ,यदि हम अपने मोह और इच्छावों को और लालच को त्याग दे हम अमर है , एक और फिल्म में ड्रंक एन मास्टर वाला हाल भी मेरे जीवन में आया मै एक शिक्षक के घर कोअचिंग पढने जाता था ,वो घर पर नहीं होते और सैकील से लौटते वक्त मेरी ख़ुशी देखते बनती थी ,बड़े शातिर दिल शिक्षक थे ,इंटर में ......
आप को अगर इन drunken master द्रिश्वो को देखना हो तो यू टी युब पर खोज सकते है ,सायद मिल जाये या फिर जो चाहिए वो बात गूगल पर एड्रेस बार पर लिख कर पा सकते है , हा अगर न मिले तो लिखने में विविधता हो और ऊपर से पहला -दूसरा चयन हो ...अगर हिंदी में कोई कहानी या लेख चाहिए तो तो पहले गूगल ऑफर से हिंदी पर क्लीक करे सारा हिंदी हो जायेगा , फिर लिखेगे तो हिंदी के विकल्प भी आयेगे ......जो चाहिए चयन कर प्राप्त कर सकते है ,
नेट पर विशेषता अनुसार अलग अलग स्थान होता है-इन्हें साईट कहते है , अलग अलग विषय वार आप पता जानते रहे तो आसानी होगी .... जैसे ये मेरा पता है - जहा आप पढ़ रहे है ......लिखना बहुत कुछ है -बच्चो और छात्रों के लिए ...अगले भाग में .....
लेखक ;- छात्रों का हितैषी .......Ravi kant yadav एम् .कॉम २०१०

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