गुरुवार, 4 नवंबर 2010

चूक










एक बहुत पैसे वाला ,धन इतना की ठण्ड लगती तो धुप के अभाव में धन ही जलाकर गर्मी लेता ,एक सिक्का फेकता तो दूरी तय कर दो हो जाते ,या यह कहे की जितने समय में वह धन गिनती करता उतने समय में वह ५ गुना अर्जित करता अतः प्रतेक जगह नौकर -चाकर ,मौत तो चराचर में अटल सत्य है ,अतः उसकी भी मौत हो गयी ,विधाता की कोर्ट -कचहरी में मुक़दमा चला ,ईश्वरीय न्याय में उसे धरती पर पुनः कुत्ते का जन्म मिलता है ,वह भी उसी के ,एक बड़े -सम्ब्रिध घराने में , घराने के लोग -मालिक के लोग उसकी सेवा करते तो वह व्यवहारिक रूप से सोचता ये तो मेरे नौकर -चाकर है , आखिर कमी कहा रह गयी ????




लेखक ;- सोचते हुए २०१० , एम् काम , 2010


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