रविवार, 14 अगस्त 2011

एक और आज़ादी का दिन ...

इस स्वतंत्रता दिवस पर भारत देश अपने आजादी के 64 साल पुरे कर रहा है ,और 65 में कदम रख रहा है|

आज़ादी के लिए कुछ शर्ते होती है,| और कीमत चुकानी पड़ती है,आज़ादी में हम आज़ाद है,पर हम

कुछ भी कर सकते है,? सिगरेट पीना , शराब पीना , अपराध करना ,ये भी आज़ादी है ,पर असली आजादी बस में सिगरेट पीते व्यक्ति के हाथ से सिगरेट छीन कर फेकना है, गलत का प्रतिकार करना यही वास्तविक आज़ादी है, आज़ाद भारत में मौत का licence लेकर ,थाने में मारने वालो को फांसी क्यों नहीं होती? ,हर हफ्ते -महीने समाचार पत्रों में कैद में मौत का समाचार मिलता रहता है,|

हम आज़ाद है, पर हमें समस्यावो से आज़ादी नहीं मिली है,क्यों की जब भ्रस्टाचार ख़त्म हो ,रोजगार मिले ,१००% शिक्षा हो, प्रदुषण ख़त्म हो, गरीबी मिटे , समस्यावो का समाधान हो,निर्भय समाज हो,तभी हमें आजादी मिलेगी ,विकाश शील देश से तात्पर्य है, वह देश जो संघर्ष कर रहा है,अपने दुखो से आज़ाद होने के लिए ,यानी हम अभी गुलाम है, स्वयं के, अपने ही परेशानियों से ,||

इसमें सबसे बड़ी अवरोधक है, भ्रष्टाचार ,गरीबी ,और अशिक्षा , आज युग कहा से कहा पहुच गया पर आज भी भारत में बहुतायत में लोग जंगलो में रहते है ,|वो भी अधनंगे , वो जानते ही नहीं की मोबाइल क्या है, टी.वी, क्या है, ? उनकी तो छोड़ दे , हम स्वयं ही अपने ढांचे अपनी व्यवस्था को बनाने में ही जूझ रहे है,उन गरीब आदिवासी, किसानो की कौन कहे ,? पेपर में आता है, ये हुआ ,वो हुआ ये मरे वो मरा, बात आई और गयी इस देश में आम आदमी की सुनी ही नहीं जाती , उसकी किसी को परवाह नहीं...?

आज़ादी के मायने मन की स्वतंत्रता ही नहीं है,जब तक देश में गरीबी है,बेरोजगारी , है, अशिक्षा , भुखमरी, है तब तक देश के लिए आज़ादी विशेष नहीं है,वास्तविक आज़ादी तो तभी मिलेगी जब भारत एक विकाशसील नहीं विकशित देश कहलायेगा ,देखते है, हमारी पीढियों को ये नसीब होता है,की नहीं,|

एक बार एक आमिर व्यक्ति ने एक तोता ख़रीदा , उसकी बड़ी सेवा की एक दिन उसके मालिक को लगा उसने उस तोते के साथ सही नहीं किया, इसकी असली जगह आसमान है, उसने उसे आज़ाद कर दिया अब तोते को उसके अपनों ने अपनाने से इनकार कर दिया और वह अच्छे से उड़ भी नहीं पाता था ,और शिकारी जानवरों का निवाला बन गया ,|

सभी भावनावो से परे अपने कर्तव्य में पारदर्शिता के साथ लगन रखने वाला ही सफल होगा ,पर यदि हम सोचते है,देश का विकाश करके ,भला करके, बेदाग़ रहकर हमें क्या मिलेगा , तो वो ब्यक्ति देश भक्त नहीं है,|

इस देश में दो तरह के लोग रहते है,एक जो सोचते है, जो है, ठीक है,इसी में इसी से हमारी औकात है,पुछ है,दूसरा वो जो सोचते है, जो हो रहा है, ठीक नहीं है| क्यों की इसी से हमारा देश पिछड़ा है,|आप कौन है??

क्यों कि हम देशभक्तो का खून तीन रंगों का है, क्यों कि इसके चरम पर सारे -रिश्ते नाते ख़त्म हो जाते है..??


लेखक ;- देशभक्त.....रविकांत यादव

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