बुधवार, 31 अगस्त 2011

गणेश चतुर्थी


यह पर्व भगवान गणेश जी के जन्म दिन के रूप में मनाया जाता है ,यह पर्व महारास्ट्र में बड़ी धूम धाम से दस दिन मनाया जाता है,| यदि आप बुद्धि -ज्ञान के देवता प्रथम पूजे विघ्न विनाशक श्री गणेश जी के विषय आदि को जानना चाहते है, तो इस लिंक पर क्लिक करे ....|

गणेश जी की दो पत्त्निया है, इनको शाप मिला था की , इनकी दो पत्त्नीया होगी , क्यों की एक खुबसूरत तपस्विनी ने इनसे विवाह का प्रस्ताव रखा तो इन्होने इनकार कर दिया उसने कई बार आग्रह किया ,गणेश जी ने विनय पूर्वक मना कर दिया,तब उसने उन्हें क्रोध में शाप दे दिया जावो तुम्हारी दो पत्त्निया हो , बाद में शाप अनुसार इनकी दो पत्त्निया हुई ,| रिद्धि और सिद्धि ......... रिद्धि से आशय(अर्थ ) है, धन और सिद्धि का अर्थ है, सम्ब्रिधि |

एक बार गणेश जी अपने जन्म दिन पर भ्रमण कर रहे ,थे | चन्द्रमा इनके मोटेपन का उपहास उडाता है,| क्रोधित गणेश जी उसे शाप देते है,जावो चंद्रमा जिस रूप चमक पर तुम इतरा रहे हो,वो चली जाये और जो तुझे देखे गा उस पर भी कलंक लग जाये,| उसी क्षण चन्द्रमा काला पड जाता| तब चन्द्रमा गिडगिडाने लगता है,और माफ़ी मांगने लगता है,तब सभी देवता आ कर गणेश जी से आग्रह करते है,देवता और दुनिया की भलाई के लिए गणेश जी कहते है, मेरा शाप तो नस्ट नहीं होगा ,अतः जावो चन्द्रमा तुम्हारी चमक धीरे -धीरे जाएगी और धीरे-धीरे वापस आ जाएगी|

अतःगणेश चतुर्थी के दिन चन्द्रमा को नहीं देखना चाहिए वरना उस पर कलंक लग सकता है,क्यों की श्री गणेश ब्रह्माण्ड में अपना प्रभुत्व रखते है ,उनको ध्यान में रखकर नियम बनाये और स्थगित किये जा सकते है|,इस दिन क्षीण चाँद जरुर रहता है|

एक बार दोनों भाई गणेश और कार्तिकेय में वर्चस्व को लेकर विवाद होता है, तो निर्णय यह होता है, जो दुनिया(पृथ्वी ) का सबसे पहले चक्कर लगाकर आएगा वो ही विजयी होगा, कार्तिकेय तुरंत अपने मोर से निकल पड़ते है,परन्तु गणेश अपने माता -पिता (शिव -पार्वती जी)का परिक्रमा करते है, और विजयी घोषित होते है|

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लेखक ;- बैचलर (bachlor ).......रविकांत यादव

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