बुधवार, 10 फ़रवरी 2010

भक्ति और भावना

.....भक्त भगवन के दरसन को आतुर प्रतिदिन उनकी पूजा करता ,बड़ी सह्रधा से फूल , धुप, दीप, आदि ,अर्पित करता ,उसकी आस्था चरम पर थी , वह पूरे समर्पण भाव से पूजा करता ,अब उसकी हिम्मत जबाब देने लगी थी ,एक समय इश्वर उसकी पूजा से प्रसन हो जाते है , स्वपन में वह इश्वर से मिलता है उसने सिकायत भरे सब्दो में कहा प्रभु आप बहुत देर बाद भी दरसन क्यों नहीं देते ,
प्रभु ने कहा प्रिय तुम अपनी आस्था में कंजूसी करते हो भक्त भाव विह्वल हो गया ,बोला प्रभु मेरे तरफ से क्या गलती हो गयी ,प्रभु ने कहा प्रिय तुम धुप अगरबत्ती ,दीप,फूल,चन्दन ,आदि से मेरी आराधना करते हो फिर धुप अगरबत्ती का पैकेट फेक क्यों देते हो ,क्या तुम्हारी आस्था की तरह उसमे सुगंध नहीं बसती ...............?!!म.कॉम। 2010

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